जिला चौरसिया समिति ने मनाया महान संत स्वामी विवेकानंद की 158 वीं पावन जयंती
शांति और विश्व बंधुत्व की स्थापना का अथक प्रयास किए थे स्वामी विवेकानंद ने - अध्यक्ष आशीष
महान संत एवं आदर्शवादी विचारक थे स्वामी विवेकानंद-अध्यक्ष आशीष
जमालपुर। स्थानीय नयागांव ठाकुरबाड़ी रोड स्थित शहीद मेजर मुकेश चौरसिया सेवा सदन में महान संत स्वामी विवेकानंद जी महाराज की परम पावन 158 वीं जयंती मुंगेर जिला चौरसिया कल्याण समिति के तत्वाधान में निष्ठा पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद के तैलीय चित्र पर पुष्पांजलि कर उनके जीवन और उपदेश पर परिचर्चा एवं भजन आयोजित की गई। अध्यक्षता जिला समिति के अध्यक्ष पान पुत्र आशीष कुमार अधिवक्ता एवं संचालन मीडिया प्रभारी राजन कुमार चौरसिया ने किया। स्वामी विवेकानंद को महान संत एवं आदर्शवादी विचारक बताते हुए अध्यक्ष आशीष कुमार अधिवक्ता ने कहा कि वे अपने समय के चलते फिरते ज्ञानकोष थे। मानव सेवा ही उनके जीवन का उद्देश्य था। स्वामी जी का कार्य राष्ट्र के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय भी था। वे मानव प्रेमी थे। और अध्यात्मिक आधार पर उन्होंने शांति और विश्व बंधुत्व की स्थापना का अथक प्रयास किया था।
महासचिव ब्रह्मदेव चौरसिया ने कहा कि स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कोलकाता उच्च न्यायालय में अधिवक्ता थे। वे अपने जीवन के बारे में भविष्यवाणी किए थे कि मैं 40 वां वर्ष पार नहीं कर सकूंगा। स्वामी विवेकानंद जी 4 जुलाई 1902 को 9:10 पर 39 वर्ष 5 माह और 24 दिन की आयु बिताकर शरीर त्याग कर महासमाधि में लीन हुए थे। वे कम उम्र में ही अपने कर्म से विश्वविख्यात हो गए थे। संरक्षक गणेश मंडल ने कहा कि स्वामी जी भारत देश के महान देशभक्त, संत तथा राष्ट्रीय चेतना के प्रेरणा पुरुष थे। वे समस्त विश्व के युवाओं के प्रेरणा स्रोत थे।
जिला मीडिया प्रभारी आध्यात्मिक चिंतक राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि यह चौरसिया समिति का नाम भले ही खास जाति के नाम पर है, परंतु यह समिति देश के सभी महापुरुषों को याद करने का काम करती है। यही कारण है कि आज स्वामी विवेकानंद जी महाराज की जयंती मनाने का निर्णय लिया गया है। स्वामी जी अमेरिका में भारत की आध्यात्मिक संस्कृति का वैदान्तिख दृष्टिकोण से व्याख्या किए थे। उन्होंने वेदांत दर्शन के मानवतावादी विचारों के द्वारा अमेरिकी लोगों की धार्मिक चेतना को समृद्ध करने का प्रयास किए थे। अमेरिका में वे भारत के अध्यात्मिक राजदूत बने थे। जिन्होंने भारत के धर्म और विज्ञान के बीच सामंजस्य स्थापित किए थे।
उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार अधिवक्ता ने कहा कि स्वामी जी कहते थे कि मुझे भारत जैसे देश पर गर्व है। जिसने संसार को पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ित और शरणार्थियों को आश्रम दिया है और संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौमिका का पाठ पढ़ाया है।
वयोवृद्ध कांग्रेसी इंद्रदेव मंडल ने कहा कि स्वामी जी ने अमेरिका में अपने संबोधन में लेडीस एंड जेंटलमैन नहीं कह कर अमेरिका के लोगों को सिस्टर्स एंड ब्रदर्स कह कर संबोधन किए थे। जिस पर अमेरिका में तालियों से स्वामी जी का भव्य स्वागत हुआ था। स्वामी जी अमेरिका में हिंदू धर्म की जो व्याख्या दी, उससे सभी देशवासियों का सीना गर्व से ऊंचा हो गया था।
डॉक्टर परमानंद मंडल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के समान ही इस जगत् प्रपंच से उठकर ब्रह्म के ध्यान में मगन हो गए थे। विज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और राजयोग इन चारो महत्वपूर्ण धर्म ग्रंथों की रचना किए थे।
आरती गान के बाद जयंती समारोह की समाप्ति हुई । मौके पर शकेश कुमार ,अरुण मंडल ,अनिल कुमार मंडल ,श्यामलाल, कुंदन मंडल सच्चिदानंद मंडल, महेश मोदी ,शैलेश चौरसिया ,रिंकू कुमार ,रामकृष्ण चंद्रशेखर मंडल, विमल मोदी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
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