एशिया प्रसिद्ध रेल कारखाना एवं रेल नगरी जमालपुर के अस्तित्व की रक्षा के लिए व्यवसायियों ने कसी कमर


जमालपुर। मारवाड़ी धर्मशाला परिसर में रविवार को जमालपुर व्यवसाई प्रतिनिधियों की एक आवश्यक बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता चश्मा व्यवसाई साईं शंकर ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कपड़ा व्यवसाई सरदार संदीप गांधी उर्फ मन्नी, बबलू कुमार, राजकुमार मंडल मौजूद थे। बैठक को संबोधित करते हुए साईं शंकर ने कहा कि जमालपुर शहर की अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक रेल इंजन कारखाना जमालपुर पर आधारित है। वर्तमान में रेल कारखाना जमालपुर के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है। जमालपुर कारखाना के समाप्त होते ही शहर की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी। 1862 ईसवी में स्थापित एशिया का सबसे बड़ा रेल कारखाना आज अपने बुरे दौर से गुजर रहा है। एक समय जमालपुर रेल कारखाना में जहां वाष्प इंजन के निर्माण, आवधिक ओवरहोलिंग (पीओएच), रेल चक्का निर्माण, स्प्रिंग सहित कई अन्य उपकरणों के निर्माण में महारथ हासिल किए हुए थी।

1863 में प्रथम रेलवे फाउण्ड्री की स्थापना के साथ रेल कारखाना जमालपुर ने नया कीर्तिमान रचा। 1879 में रेल कारखाना जमालपुर देश का पहला ऐसा कारखाना बना जहां रॉलिंग मिल की स्थापना की गई। वर्ष 1899 से 1923 के बीच कुल 216 अदद का निर्माण किया गया। इन 24 वर्षों में इंजन तथा इंजन व्यॉलर के निर्माण में रेल कारखाना जमालपुर लगातार प्रथम स्थान पर अपना दबदबा कायम रखा। उच्च क्षमता वाले विद्युतीय लिफ्टिंग जैक, टिकट प्रिंटिंग, टिकट चॉपिंग, टिकट स्लीटिंग तथा टिकट काउन्टिंग मशीनों का निर्माण भी प्रथमतः इसी कारखाने में शुरू हुआ। वर्ष 1961 में ढलाई द्वारा इस्पात के उत्पादन के लिए निर्मित आधे टन क्षमता वाले विद्युत आर्क भट्टी का निर्माण केवल इसी कारखाने में सर्वप्रथम किया गया।
वर्ष 1961 में भारतीय रेलवे के लिए स्वदेशी तकनीक के बलबूते प्रथम रेल क्रेन का निर्माण कर रेल कारखाना जमालपुर ने एक नया गौरव हासिल किया। रेल कारखाना जमालपुर ही देश का पहला और एक मात्र कारखाना जहां 140 टन एआरटी क्रेन का निर्माण रेलवे के लिए आज भी किया जाता है। भारतीय रेलवे में 140 टन बीडी क्रेन का निर्माण केवल जमालपुर कारखाना में ही होता है। देश के विभिन्न कारखानों को 140 टन के उन्नत क्रेन उपलब्ध कराते हुए क्रेन के कार्य स्थल पर ही इसका मेंटेनेंस भी करता है। रेल इंजन कारखाना जमालपुर के कर्मियों द्वारा पहली बार आईसीएफ कोच एवं एलएचबी कोच के लिए 35 टन यूनिवर्सल जमालपुर जैक का निर्माण कर एक नई उपलब्धि हासिल की।
कुशल कारीगरों के दम पर एशिया का सबसे बड़ा रेल कारखाना का दर्जा हासिल करने वाले रेल कारखाना जमालपुर ने भारतीय रेल को कई अन्य उपलब्धियां भी दिलाई। रेलवे को ऊंचाई पर ले जाने वाला यह कारखाना आज वर्कलोड, मैन पावर एवं अपने क्षेत्र के विकास के नाम पर पिछड़ता दिख रहा है।
वर्तमान में जमालपुर में स्थापित रेलवे का एक संयंत्र डीजल शेड के अलावा रेल कारखाना स्थित मिल राइट्स शॉप, ढलाई घर, चक्का घर, डीजल पीओएच सहित कई प्रमुख इकाइयां आज या तो बंद हो चुकी है या तो बंद होने की कगार पर है। आज रेल कारखाना जमालपुर में कार्यरत अधिकारियों की कुल संख्या 22000 से घटकर 3000 तक सिमट कर रह गई है। जो आज सबसे बड़ी चिंता की विषय है। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो आने वाले पीढ़ी को हम बेहतर कल देने के बजाए अशिक्षा, बेरोजगारी एवं पलायन विरासत के रूप में देंगे। यदि हमें अपने अगली पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य देना है तो हम व्यक्तियों को एकजुट होकर रेल कारखाना के अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ाई लड़नी होगी।

आगामी 23 जनवरी को तिरंगा जागरूकता अभियान एवं 7 फरवरी को मानव श्रृंखला

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 23 जनवरी को जमालपुर शहर के सभी क्षेत्रों में व्यवसायियों, बेरोजगार छात्रों युवाओं किसानों मजदूरों एवं महिलाओं को इस लड़ाई से जोड़ने के लिए तिरंगा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जिसमें शहर के व्यवसाय प्रतिनिधिमंडल तिरंगा लिए हुए घर-घर पहुंचकर लोगों को जागरूक बनाएंगे। आगामी 7 फरवरी को रेल कारखाना के अधिकारियों तथा रेलवे मंत्रालय को जमालपुर रेल कारखाना किस समस्या से अवगत कराने के लिए पूरे जमालपुर शहर में मानव श्रृंखला का आयोजन किया जाएगा।

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